कोटा की शान 125 वें राष्ट्रीय दशहरा मेले में विजयश्री रंगमंच पर शुक्रवार को असत्य पर सत्य की जीत के महापर्व विजयादशमी पर लाखों लोगों के सामने अभिमान के प्रतीक रावण दहन हुआ। रावण, कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतले 11 मिनट पर खाक हो गए। हर आयु वर्ग के लोगों में रावण के साथ सेल्फी लेने का गजब उत्साह देखा गया है। रावण दहन को अपलक लोग देखते रहे।
दशहरा मैदान इस बार नए स्वरूप में तैयार हो गया है। पिछले साल के मुकाबले लोगों की भीड़ अधिक नजर आई। आलम यह था कि जहां तक नजर जाती वहां तक जनसैलाब दिख रहा था। रावण दहन शुरू होने से करीब एक घण्टे पहले समूचा ग्राण्ड खचाखच भर गया। ज्योंति शाम 7.15 बजे भगवान लक्ष्मी नारायणजी सवारी गाजे-बाजे के साथ विजयश्री रंगमंच पर पहुंची तो लोगों ने जयकारे के अभिवादन किया। इसके बाद पूर्व राजपरिवार के सदस्य इज्यराजसिंह ने परम्परा के अनुसार खेजड़ी के वृक्ष की पूजा की इसके बाद रावण दहन का कार्यक्रम रश्मों रिवाज के साथ शुरू हुआ।
ऐसे बढ़ा रावण का रोमांच
विजयश्री रंगमंच पर सीना ताने रावण, कुम्भकरण और मेघनाथ खड़े थे। रावण कभी पलकें झपकाते हुए मुस्करा रहा था तो कभी तलवार हवा में लहराकर अपना दम्भ दिखा रहा था। लोगों की अपार भीड़ की सुस्ती तोडऩे के लिए अट्हास कर आसमान को गूंजायमान कर देता था। हर बार 72 फीट का रावण स्मार्ट ग्राउण्ड में 101 फीट का खड़ा था। कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतले 55-55 फीट के थे।
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