दशहरा मैदान में रावण दहन में उमड़ा लोगों का सैलाब। विदेशी मेहमान भी आए। 17 मिनट में आतिशी धमाकों के साथ खाक हुआ रावण का कुनबा।
यूं चला दहन का सिलसिलाः
- 8 बजकर 21 मिनट पर मेघनाद को आग लगाई। 7 मिनट में स्वाह।
- 8 बजकर 31 मिनट पर कुंभकर्ण को आग लगी और 6 मिनट में धराशाही।
- 8.36 बजे रावण की नाभी में आग लगी। धमाकों के साथ सिर गिरने लगे। सिर व सीने में आग के अंगारे धधके। दो मिनट में रावण आग की लपटों के बीच खाक हुआ।
नगर निगम कोटा की ओर से आयोजित राष्ट्रीय दशहरा मेला 2016 का रावण कुनबे का मंगलवार रात दहन हुआ। भगवान लक्ष्मीनारायणजी की सवारी के साथ लाव लश्कर सहित कोटा रियासत के पूर्व महाराव कुमार इज्यराजसिंह ने पूजा-अर्चना के बाद रावण की नाभी के कलश को तीर से भेदा। इसके बाद देखते ही देखते अहंकारी रावण का कुनबा भष्म होता चला गया। रावण दहन के दौरान लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। लोगों की भीड़ से ठसा ठस दशहरा मैदान में विदेशी सैलानियों ने भी इस लोक उत्सव के भव्य आयोजन को करीब से देखा और खूब सराहा। 17 मिनट में आतिशी धमाकों के साथ रावण का कुनबा खाक हो धराशाही हो गया। विजयश्री रंगमंच पर करीब पौन घंटे रंगीन आतिशबाजी हुई। लोगों ने इन यादगार पलों को केमरों में भी केद किए।
अट्टहास करता रहा रावण
सुबह से सूर्य देव तमतमाने लगे तो तेज धूप हो गई। दिनभर तेज धूप में रावण कुनबा मैदान में डटा रहा। 72 फीट रावण व 40-40 फीट के कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों ने दहन से पहले मैदान में गर्दन घुमाना, तलवार चलाने के करतब दिखाएं व खूब अट्टहास किया।
दहन के दौरान रहे पुख्ताबंदोबस्त
मेला अधिकारी व उपायुक्त राजेंद्र सिंह चारण ने बताया पुतलों के परिधान के रंगों में बदलाव किया गया था। रंगीन आतिश बाजी के नजारों के साथ अहंकारी रावण का कुनबे सहित दहन हुआ। दहन के दौरान दर्शको को किसी तरह से कोई व्यवधान न पहंुचे इसके लिए रावण कुनबे के आसपास बेरिकेट्स लगाए। सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त रहे। मुख्य अतिथि सांसद ओम बिरला, विशिष्ट अतिथि विधायक संदीप शर्मा, प्रहलाद गुंजल, भवानी सिंह राजावत, चंद्रकांता मेघवाल, महापौर महेश विजय, उप महापौर सुनीता व्यास, निगम आयुक्त शिव प्रसाद एम नकाते, मेला अध्यक्ष राममोहन मित्रा बाबला, उपायुक्त व मेला अधिकारी राजेंद्र सिंह चारण, मेला प्रभारी प्रेमशंकर शर्मा, एसी भूपेंद्र माथुर, मेला समिति सदस्य महेश गौतम लल्ली, नरेंद्र सिंह हाड़ा, कृष्ण मुरारी सामरिया, भगवान स्वरूप गौतम, मीनाक्षी खंडेलवाल, विकास तंवर, पार्षद गोपालराम मंडा, विवेक राजवंशी सहित हजारों की संख्या में दर्शक मौजूद थे।
डांडिया नृत्य ने मोहा
रावण दहन स्थल पर दहन से कछी घोड़ी नृत्य व डांडिया नृत्य भी हुआ। रावण अट्टहास करता कभी गर्दन तो कभी तलवार घूमाता दिखा। लोगों ने रावण दहन के नजारे को कैमरों मे केद किया। कई लोगों ने रावण के साथ सेल्फी भी ली।
Pictures Credits: Kota Rajasthan Patrika
News coverage in Dainik Bhaskar
- मेले की जानकारी देने के लिए निगम ने जारी किया ब्रोशर
- पिछले साल की तुलना में दोगुने समय तक जलता रहा रावण, 20 मिनट में कुनबे समेत धराशाई हुआ दशकंधर
- यादें संजोने के लिए हर व्यक्ति ने मोबाइल में कैद किया दहन
- झूलों का रेट कम करवाया निगम ने
- दरीखाने की रस्म के बाद शाही वैभव से निकली भगवान लक्ष्मीनाथ की शोभायात्रा
8.23 बजे शुरू हुआ दहन, 7.25 मिनट में मेघनाद 5.17 मिनट में खाक हुआ कुंभकर्ण, 5.02 मिनट में धराशाई हुआ रावण
जीवंत किया राम-रावण युद्ध
पहलीबार लक्ष्मीनारायण जी की सवारी में नया प्रयोग किया गया। इसमें झांकियों के अलावा राम और रावण की सेना युद्ध करते हुए दिखी। राक्षस घोड़ों पर सवार थे तो वानर सेना हाथों में गदा लिए उनसे लड़ रही थी। कालिका द्वारा असुर संहार और रौद्र रूप भी जनता को रास आया।
पिछलेसालों की तुलना में इस साल रावण दहन कार्यक्रम में दर्शक ज्यादा रोमांचित हुए। हर साल 2 से 4 मिनट में जलकर खत्म हो जाने वाले रावण, कुंभकर्ण मेघनाद के पुतलों ने इस साल जलने में 20 मिनट का समय लिया। इस बार तीनों पुतलों के दहन के साथ ही आतिशबाजी भी की गई, जबकि पिछले सालों में केवल रावण के पुतले को जलाने के साथ ही आतिशबाजी होती थी। दहन के बाद होने वाली आतिशबाजी ने भी काफी देर तक दर्शकों को बांधे रखा।
गढ़ पैलेस में दरीखाने की रस्म के बाद भगवान लक्ष्मीनारायण जी की सवारी दशहरा मैदान पहुंची। वहां पूर्व महाराज कुंवर इज्येराज सिंह ने सीता माता के पाने ज्वारे की पूजा की। रावण के अमृत कलश पर तीर चलाया। मंगलवार शाम पूर्व युवराज इज्यराज सिंह के अमृत कलश फोड़ने के साथ ही 8.23 बजे रावण दहन शुरू हुआ। उसके बाद एक-एक करके पुतलों का दहन किया गया। रावण का कुनबा कुल 20 मिनट में जलकर खाक हो गया। पुतलों में आग लगते ही दहन स्थल पर मौजूद हर शख्स के हाथ में मोबाइल कैमरे जगमगा उठे। सबसे पहले 8.23 बजे मेघनाद के पुतले को आग लगाई जो 7.25 मिनट में जला, उसके बाद कुंभकर्ण के पुतले को आग लगाई, लेकिन कुछ पल जलने के बाद बत्ती बुझ गई तो उसे दुबारा जलाया गया। दूसरी बार में 5.17 मिनट में जलकर राख हुआ। अंत में रावण का पुतले को आग लगाई जो 5.02 मिनट तक जला। जबकि, पिछले साल 2015 में मेघनाद का पुतला .15 मिनट, कुंभकर्ण का पुतला 2.40 मिनट और रावण का पुतला 3.53 मिनट में जल गया था।
मेले के लिए शुरू की 4 सिटी बसें
निगमद्वारा मेले के लिए 4 मेला स्पेशल बसें मंगलवार से शुरू कर दी गईं। पार्षद गोपाल मंडा, विवेक राजवंशी रमेश आहूजा ने सीएडी सर्किल के पास से चारों बसों को झंडी दिखाकर रवाना किया। ये बसें स्टेशन से दशहरा मैदान होते हुए खड़े गणेश जी, नयागांव तक जाएंगी और इसी रूट से वापस आएगी।
मेले की जानकारी देने के लिए निगम ने जारी किया ब्रोशर
नगर निगम की ओर से दशहरा मेले इसके आसपास के पर्यटक स्थलों की जानकारी देने के लिए ब्रोशर जारी किया गया है। मंगलवार को दरीखाने में आयोजित समारोह में सांसद ओम बिरला पूर्व सांसद इज्यराज सिंह ने इसका विमोचन किया। इस ब्रोशर को पार्षद मीनाक्षी खंडेलवाल ने तैयार किया है। उन्होंने बताया कि मेले में होने वाली गतिविधियों के अलावा शहर के आसपास के पर्यटक स्थलों की जानकारी इसमें जुटाई गई है। ताकि मेले में आने वाले पर्यटकों को आसानी हो। इसे अंग्रेजी में तैयार किया गया है।
आकर्षण का केंद्र रही प्रभु श्रीराम की वानर सेना विदेशी पर्यटकों के दल को भी लुभाया
इसबार भगवान लक्ष्मीनाथ की शोभायात्रा में राम-रावण युद्ध के अलावा वानर और राक्षस सेना के युद्ध की जीवंत झांकी ने विशेष तौर पर आकर्षित किया। गढ़ पैलेस में दरीखाने की रस्म के दौरान वानर सेना को देख विदेशी पर्यटक रोमांचित हो गए। उन्होंने वानर सेना का फोटो सेशन किया।