दशहरा मेले में रविवार रात विजय श्री रंगमंच पर पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में लोक कलाकारों ने जब एक से बढ़कर एक राजस्थानी लोक कला संस्कृति की प्रस्तुतियां दी तो पांडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। एक बार आओजी जवाईजी पावणा…काळो कूद पड्यो मेळा म… सरीखे राजस्थानी लोक गीतों पर विदेषी मेहमान भी मंच पर लोक कलाकारों को साथ जमकर थिरके तो माहौल मस्तीभरा हो गया। प्रदेशभर से आए लोक कलाकारों ने यहां चकरी नृत्य, गवली नृत्य, अलगोजा, बिंदोरी, मषक वादन सहित अन्य नृत्यों की प्रस्तुति देकर रोमांचित कर दिया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में देर रात तक श्रोताजन राजस्थानी गानों की धुन पर थिरकते रहे। शाहबाद के हरिकेष सिंह एण्ड पार्टी ने सहरिया नृत्य की दमदार प्रस्तुति दे ग्रामीण अचंल की यादे ताजा कर दी। लोक कलाकार हरिहर मीना की भंवई नृत्य की प्रस्तुति को दर्षक अपलक निहारते रह गए। रूप सिंह कंजर एण्ड पार्टी ने चकरी नृत्य पेष किया। झालावाड़ के जुगल चौधरी एण्ड पार्टी ने गवली नृत्य के माध्यम से हाड़ौती की संस्कृति का बखान किया। झालावाड़ के ही बजरंग लाल सेन की बिंदोरी प्रस्तुति भी दमदार रही। अंता के धन्नालाल मेघवाल ने वीर तेजाजी के लोकगीतों की प्रस्तुति दे माहौल को नई उंचाई दी। श्रोताजन लोकगीत में खो गए। बूंदी के करवर से आए बाबूलाल सोनी व साथी कलाकारों ने आलिजा म्हारो गोरबंद नखराळो…की धमाकेदार प्रस्तुति दी। श्रोता संगीत की दुनिया में डूब गए। इससे पहले कार्यक्रम की षुरूआत मुख्य अतिथि कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा, अध्यक्षता कर रहे डब्ल्यूसीआरईयू के महामंत्री मुकेश गालव, विषिश्ट अतिथि नागरिक सहकार बैंक के उपाध्यक्ष हेमराज सिंह हाड़ा, सहकार नेता महीप सिंह सोलंकी, भाजयुमोर्चा के प्रदेष महामंत्री विकास शर्मा ने विधिवत पूजा-अर्चना कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
मेला प्रचार प्रसार समिति के अध्यक्ष कृष्ण मुरारी सामरिया ने बताया कि कार्यक्रम की प्रस्तुतियों के दौर की श्रंखला में सूरतगढ़ के अंगरेज सिंह ने मसक वादन कर माहौल की फ़िजा ही बदल दी। कई श्रोताओं ने इस दुर्लभ वाद्ययंत्र को पहली बार सुना तो वह मंत्रमुग्ध हो गए। बाड़मेर के जगदीष व साथी कलाकारों ने एक बार आओ जी जवाईजी पावणा…कालबेलिया नृत्य, खरताल वादन कर जमकर तालिया बटोरी। भरतपुर के अशोक शर्मा व कलाकारों ने महारास लीला में जीवंत झांकियों व नृत्य के माध्यम से मंच से धर्म की गंगा बहाई। देखने वालों को रोमांचित कर दिया।
इस दौरान महापौर महेश विजय, उप महापौर सुनीता व्यास, निगम आयुक्त शिवप्रसाद एम नकाते, मेला अधिकारी व उपायुक्त राजेंद्र सिंह चारण, उपायुक्त राजेश डागा, मेला समिति सदस्य पार्षद महेश गौतम लल्ली, रमेश चतुर्वेदी, नरेंद्र सिंह हाड़ा, प्रकाश सैनी, भगवान स्वरूप गौतम, मीनाक्षी खंडेलवाल, मोनू कुमारी आदि ने अतिथियों व कलाकारों का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया। दर्शक दीर्घा में बैठकर कार्यक्रम का देर रात तक लुत्फ उठाया।
– मीडिया पॉइंट/कमल यदुवंशी
राजस्थानी संस्कृति से रूबरू हुए विदेशी
विजयश्री रंगमंच पर रविवार को पर्यटन विभाग की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम को देखने के लिए कनाडा, फ्रांस के 10 सदस्यों का विदेशी सैलानियों का दल बूंदी से कोटा आया।
पूरे कार्यक्रम में सैलानी राजस्थानी लोक संस्कृति, कलाकारों के मनमोहक नृत्य को देखते रहे। अंतिम दौर में विदेशी सैलानियों ने राजस्थानी लोक गीतों की धुन पर कलाकारों के साथ करीब 25 मिनट तक डांस भी किया।
रात नौ बजे शुरू हुए कार्यक्रम में सूरतगढ़ से आए अंग्रेज सिंह के साथी कलाकारों ने मसक की धुन पर परम्परागत वेशभूषा के साथ नृत्य किया। करवर के लोक कलाकारों ने अलगोजा की धुन पर तेजाजी गायन किया।
वहीं अंता से आए कलाकारों ने कच्छी घोड़ी नृत्य की प्रस्तुतियां दी। बाड़मेर के कलाकारों ने एक बार आओ जी जवाईं जी पावणा लोकगीत पर बाल विवाह पर आधारित लघु नाटिका मंचन किया।
झालावाड़ जिले के रीछवा के लोक कलाकारों ने विवाह समारोह के दौरान प्राचीन काल में निकाली जाने वाली बिंदोरी नृत्य किया।
शाहाबाद के कलाकारों ने आदिवासी वेशभूषा में होली के त्योहार पर किए जाने वाले परम्परागत नृत्य की प्रस्तुति दी दर्शक भी झूम उठे। कोटा के हरिहर बाबा सिर पर 51 कलश रखकर भवई नृत्य की प्रस्तुति दी।
छबड़ा की महिला कलाकारों ने कालबेलिया नृत्य की प्रस्तुतियां दी। वहीं झालावाड़ के कलाकारों ने गोपालन के दौरान प्राचीन काल में किए जाने वाले कान ग्वाल नृत्य की प्रस्तुति दी। भरतपुर डीग से आए कलाकारों ने बृज की छटा बिखरते हुए मयूर नृत्य किया। वहीं बाड़मेर के कलाकारों ने खड़ताल वादन किया। कार्यक्रम का संचालन ओम पंचोली ने किया।
News Coverage : Rajasthan Patrika
सांस्कृतिक कार्यक्रम में लोक कलाकारों के साथ विदेशी पर्यटकों ने लगाए ठुमके, सहरिया नृत्य ने भी बांधा समां
विजयश्रीरंगमंच पर रविवार की शाम को राजस्थान के हर अंचल की संस्कृति नजर रही थी। लोक कलाकारों ने अपने-अपने क्षेत्र की संस्कृति को पूरे जोश के साथ पेश किया। दर्शक भी उनकी कला को मंत्रमुग्ध होकर देखते रहे। प्रदेशभर से आए लोक कलाकारों ने यहां चकरी नृत्य, गवली नृत्य, अलगोजा, बिंदौरी, मशक वादन की प्रस्तुति देकर रोमांचित कर दिया।
शाहाबाद के हरि केश सिंह एंड पार्टी ने सहरिया नृत्य की दमदार प्रस्तुति दी तो लोक कलाकार हरिहर मीना की भवई नृत्य की प्रस्तुति को दर्शक अपलक निहारते रह गए। रूपसिंह कंजर एंड पार्टी ने चकरी नृत्य पेश किया। झालावाड़ के जुगल चौधरी एंड पार्टी ने गवली नृत्य के माध्यम से हाड़ौती की संस्कृति का बखान किया। झालावाड़ के ही बजरंग लाल सेन की बिंदौरी प्रस्तुति भी दमदार रही। अंता के धन्नालाल मेघवाल ने वीर तेजाजी के लोकगीतों की प्रस्तुति दी। बूंदी के करवर से आए बाबूलाल सोनी साथी कलाकारों ने आलिजा म्हारो गोरबंद नखराळो…प्रस्तुत किया। सूरतगढ़ के अंग्रेज सिंह ने मशक वादन कर माहौल की फिज़ा ही बदल दी। कई श्रोताओं ने इस दुर्लभ वाद्ययंत्र को पहली बार सुना तो वह मंत्रमुग्ध हो गए। बाड़मेर के जगदीश साथी कलाकारों ने एक बार आओ जी जवाई जी पावणा…कालबेलिया नृत्य, खरताल वादन कर जमकर तालिया बटोरी। भरतपुर के अशोक शर्मा कलाकारों ने महारास लीला में जीवंत झांकियों नृत्य प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक संदीप शर्मा, अध्यक्षता कर रहे डब्ल्यूसीआरईयू के महामंत्री मुकेश गालव, विशिष्ट अतिथि नागरिक सहकारी बैंक के उपाध्यक्ष हेमराज सिंह हाड़ा, सहकार नेता महीप सिंह सोलंकी, भाजयुमो के प्रदेश महामंत्री विकास शर्मा थे। इस दौरान महापौर महेश विजय, उपमहापौर सुनीता व्यास, आयुक्त शिवप्रसाद एम नकाते, मेला समिति सदस्य पार्षद महेश गौतम लल्ली, रमेश चतुर्वेदी, कृष्ण मुरारी सामरिया, प्रकाश सैनी, भगवान स्वरूप गौतम, मीनाक्षी खंडेलवाल, मोनू कुमारी आदि उपस्थित थे।